Skip to main content

Contact Us

 

Comments

Popular Posts

Pustak Parichay : गुनाहों का देवता gunaho ka devta pustak parichay

  पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम - गुनाहों का देवता लेखक - धर्मवीर भारती बहुत से उपन्यास पढ़े काॅलेज के समय क्योंकि अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातक कर रहे थे । हिंदी का पहला कौन सा उपन्यास पढ़ा था, अब याद नहीं पर था शरत चंद्र का लिखा । हाँ, हाल ही में 'गुनाहों का देवता' पढ़ा । शुरु किया तो पुस्तक नीचे नहीं रखी गई । सुधा , सरल, सहज, सहृदय, देखने में मामूली पर दृढ़ संकल्प वाली कालेज छात्रा है । अमीर पिता उसके लिये योग्य वर की तलाश में हैं । सुधा के पिता के आर्थिक सहयोग से पला बढ़ा चंदर और ख़ुद सुधा एक दूसरे के प्रति अपनी भावनाएं समझ नहीं पाते । या यह कहें कि नकार देते हैं एक दूसरे के प्रति पनपता प्रेम ! सुधा अपनी कालेज की सखी गेसु से मन की बातें करती तो है पर चंदर से या पिता से कभी नहीं कहती । उसके पिता चंदर ही से उसकी शादी की ज़िम्मेदारी लेने के लिये कहते हैं । पिता के अहसानों तले दबा चंदर किसी सूरत उनकी बेटी का हाथ माँग उनके विश्वास को तोड़ना नहीं चाहता। इसी मानसिक द्वंद्व के चलते चंदर के जीवन में पम्मी आती है । सुधा के पात्र से लगभग पूरी विपरीत, पम्मी भी चंदर से प्रेम करत

Pustak Parichay : वोल्गा से गंगा pustak samiksha

  पुस्तक समीक्षा   पुस्तक का नाम - वोल्गा से गंगा लेखक - राहुल सांकृत्यायन ये जो पुस्तक है भारतीय इतिहास को मानव के विकास क्रम में समझाने के लिए सबसे नायाब पुस्तक है ऐसा मैं मानता हूं , आज तक जो भी पुस्तकें मैने पढ़ी है सबसे धीमी गति से पढ़ी गयी पुस्तक है , कई सारी कहानियां दो से तीन चार बार भी पढ़ी है एकदम टेस्ट बुक की तरह , क्योंकि इसे समझने के लिए भी एक आला दर्जें का दिमाग चाहिए जो शायद अपने पास कम है। राहुल सांकृत्यायन जी की ये अनुपम भेंट है हम जैसे इतिहास् में रुचि रखने बाले व्यक्ति के लिए , क्योकि कई कसौटियों पर कसने के बाद जो निकलता है उसे राहुल जी ने अपनी कल्पना के अनुरूप ढाला है बाकी आपकीं रुचि है कि आप उनको कैसे समझते है। वोल्गा से गंगा में कुल 20 कहानियां है जो आपको 6000 ईसापूर्व से लेके 1942 तक लेके आती है । शुरुआती कहानियां निशा दिवा अमृताश्व और पुरुहूत , प्रागैतिहासिक काल की वो कल्पना जन्य कहानियां है जो मानव के जन्म के बाद उसके सामाजिक परिवारिक प्राकृतिक सम्बन्धो का वर्णन करती है । अगली चार कहानियां पुरुधान अंगिरा सुदास और प्रवाहण वेद और उपनिषद आधारित वो कहानिया

Pustak Parichay : ट्वेल्थ फेल Twelth fail pustak samiksha

पुस्तक का नाम - ट्वेल्थ फेल लेखक - अनुराग पाठक प्रकाशन - नियोलिट पब्लिकेशन यह समीक्षा इन दिनों मेरी किताब नामक पेज से ली गयी है जिसमें अप्पू झा अपूरन जी ने अपने शब्दों में इसकी समीक्षा की है ये पुस्तक सत्य घटना पर आधारित एक ऐसे आईपीएस अफसर की कहानी है। जो ट्वेल्थ में फेल हो जाता है। जो यूपीएससी की तैयारी के दौरान पैसे की कमी के चलते बड़े लोंगो के घरों के कुत्तों को घुमाने का कार्य करता है। अपने स्वाभिमानी स्वभाव के चलते किसी तरह गुजारा होने वाली अपनी लाइब्रेरी की नौकरी छोड़, आटा पीसने वाली चक्की पर आटा पीसने का कार्य करता है। एक लंबे समयांतराल के बाद एक अच्छी पुस्तक पढ़ने को मिला है। अच्छी पुस्तक पढ़ने के बाद मैं कुछ दिन तक उस पुस्तक के नशे में रहता हूँ। ट्वेल्थ फेल ऐसी ही एक पुस्तक है। जिस तरह गीता एक आम मनुष्य को उसके जीवन के रहस्य को समझाती है और सफलता का मार्ग प्रशस्त करने में उसकी मदद करती है। ये पुस्तक ठीक उसी प्रकार है, जो युवा अपनी असफलता का कारण अपनी कमजोर आर्थिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि को मानते है। उनके लिए ये पुस्तक गीता की तरह काम करती है। यदि अतिश्योक्ति ना हो तो ये पुस्तक य