पुस्तक का नाम - ट्वेल्थ फेल
लेखक - अनुराग पाठक
प्रकाशन - नियोलिट पब्लिकेशन
यह समीक्षा इन दिनों मेरी किताब नामक पेज से ली गयी है जिसमें अप्पू झा अपूरन जी ने अपने शब्दों में इसकी समीक्षा की है
ये पुस्तक सत्य घटना पर आधारित एक ऐसे आईपीएस अफसर की कहानी है। जो ट्वेल्थ में फेल हो जाता है। जो यूपीएससी की तैयारी के दौरान पैसे की कमी के चलते बड़े लोंगो के घरों के कुत्तों को घुमाने का कार्य करता है। अपने स्वाभिमानी स्वभाव के चलते किसी तरह गुजारा होने वाली अपनी लाइब्रेरी की नौकरी छोड़, आटा पीसने वाली चक्की पर आटा पीसने का कार्य करता है।
एक लंबे समयांतराल के बाद एक अच्छी पुस्तक पढ़ने को मिला है। अच्छी पुस्तक पढ़ने के बाद मैं कुछ दिन तक उस पुस्तक के नशे में रहता हूँ। ट्वेल्थ फेल ऐसी ही एक पुस्तक है। जिस तरह गीता एक आम मनुष्य को उसके जीवन के रहस्य को समझाती है और सफलता का मार्ग प्रशस्त करने में उसकी मदद करती है। ये पुस्तक ठीक उसी प्रकार है, जो युवा अपनी असफलता का कारण अपनी कमजोर आर्थिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि को मानते है। उनके लिए ये पुस्तक गीता की तरह काम करती है। यदि अतिश्योक्ति ना हो तो ये पुस्तक युवाओं के लिए बिल्कुल गीता की तरह है। जिसे हर किशोर उम्र के युवाओं को अवश्य पढ़ना चाहिए।
इसकी भूमिका दृष्टि के निर्देशक विकास दिव्यकिर्ति जी ने लिखी है। इस पुस्तक की भूमिका इससे बेहतर नही लिखी जा सकती थी।
मुझे लगता है कि हर युवा को इस उपन्यास से गुज़रना चाहिये। सिर्फ इसलिये नहीं कि वे यूपीएससी में सफलता के गुर सीख सकें या यह समझ सकें कि स्कूल के दिनों में पढ़ाई के प्रति घोर लापरवाह रहने और फेल हो जाने के बावजूद कोई जुझारू व ज़िद्दी इंसान कैसे देश की सबसे शानदार नौकरी का स्वप्न देख सकता है? यह किताब इसलिये भी ज़रूरी है ताकि हमें ज़िंदगी को समझने, जीने और निभाने की कला समझ आए। मेरा दावा है कि इस उपन्यास को ठीक से पढ़ लेने के बाद आप ठीक वही इंसान नहीं रहेंगे जो इसे पढ़ने के पहले थे। आप पाएंगे कि आपके अंदर कुछ बुरा था जो पिघल गया है, कुछ अच्छा था जो मजबूत हुआ है और अब आप ज़िंदगी के प्रति पहले से कुछ ज़्यादा सहज और आशावान हो गए हैं।
ये कहानी एक ऐसे लड़के मनोज की है। जो ट्वेल्थ फेल होने के बाद अपनी कमजोर शैक्षणिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद आईपीएस बनने का सपना देखता है। अपने प्यार और पढ़ाई दोनों से लगातार जूझता रहता है। लेकिन अपने मेहनत के बल पर एक दिन आईपीएस बन जाता है।
इस पुस्तक को क्यों पढ़े?
आप जब अपनी असफलता का ठीकरा अपनी कमजोर शैक्षणिक और आर्थिक पृष्ठभूमि पर फोड़ेंगे तो ये पुस्तक आपको इसके किरदार मनोज की याद दिलवाएगी। और आपके अंदर की सारी नकारात्मकता दूर हो जाएगी। आप एक बार फिर नए जोश के साथ अपने संघर्ष के लिए तैयार हो जाएंगे।
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