पुस्तक समीक्षा
2018 नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नदिया मुराद की कहानी
नदिया मुराद इराक के छोटे से गांव कोचो में अपने परिवार के साथ रहती है , ISIS जो कि इराक में अपने पैर पसार चुका था एक दिन कोचो पर हमला कर देता है और गांव की सारी औरतो तथा लड़कियों को बंधक बना लेता है और पुरुषों को एक गड्ढे में उतार कर गोलियों से भून देते है
इस नरसंहार में नदिया के छः भाई और अनेक संबंधी मारे जाते है , इसके बाद शुरू होता है नदिया के ज़िन्दगी के दर्दनाक पन्ने जिसे पढ़कर आपकी रूह काँप जायेगी ।
नदिया तथा गांव की अन्य महिलाओं को बस के द्वारा ISIS के लोग अपने इलाको में ले जाते है , बस में ही महिलाओं का उत्पीड़न शुरू होता है और आगे चलकर वीभत्स रूप लेता है , लड़कियों को सबाया बना दिया जाता है , और उनकी खरीद फरोख्त शुरू हो जाती है
हर दिन उनको मारा पीटा जाता है और बलात्कार पे बलात्कार होते रहते है , ISIS लड़कियों को व्यापार का साधन बनाते है , किताब आपको सोचने पे मज़बूर करती है कि इतनी हैवानियत कोई कैसे कर सकता है , नदिया भी इसी हैवानियत का शिकार होती रहती है और एक दिन मौका पाकर वहाँ से भाग निकलती है , ISIS के चुंगल से निकलना इतना आसान नही था किंतु नदिया ने वो हिम्मत दिखाई और आज ISIS का काला सच पूरी दुनिया के सामने रख दिया , ।
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