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Pustak Parichay 
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Uttarakhand

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Pustak Parichay : गुनाहों का देवता gunaho ka devta pustak parichay

  पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम - गुनाहों का देवता लेखक - धर्मवीर भारती बहुत से उपन्यास पढ़े काॅलेज के समय क्योंकि अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातक कर रहे थे । हिंदी का पहला कौन सा उपन्यास पढ़ा था, अब याद नहीं पर था शरत चंद्र का लिखा । हाँ, हाल ही में 'गुनाहों का देवता' पढ़ा । शुरु किया तो पुस्तक नीचे नहीं रखी गई । सुधा , सरल, सहज, सहृदय, देखने में मामूली पर दृढ़ संकल्प वाली कालेज छात्रा है । अमीर पिता उसके लिये योग्य वर की तलाश में हैं । सुधा के पिता के आर्थिक सहयोग से पला बढ़ा चंदर और ख़ुद सुधा एक दूसरे के प्रति अपनी भावनाएं समझ नहीं पाते । या यह कहें कि नकार देते हैं एक दूसरे के प्रति पनपता प्रेम ! सुधा अपनी कालेज की सखी गेसु से मन की बातें करती तो है पर चंदर से या पिता से कभी नहीं कहती । उसके पिता चंदर ही से उसकी शादी की ज़िम्मेदारी लेने के लिये कहते हैं । पिता के अहसानों तले दबा चंदर किसी सूरत उनकी बेटी का हाथ माँग उनके विश्वास को तोड़ना नहीं चाहता। इसी मानसिक द्वंद्व के चलते चंदर के जीवन में पम्मी आती है । सुधा के पात्र से लगभग पूरी विपरीत, पम्मी भी चंदर से प्रेम करत...

Pustak Parichay : 2018 नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नदिया मुराद की कहानी ज़रूर पढें pustak parichay

    पुस्तक समीक्षा 2018 नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नदिया मुराद की कहानी नदिया मुराद इराक के छोटे से गांव कोचो में अपने परिवार के साथ रहती है , ISIS जो कि इराक में अपने पैर पसार चुका था एक दिन कोचो पर हमला कर देता है और गांव की सारी औरतो तथा लड़कियों को बंधक बना लेता है और पुरुषों को एक गड्ढे में उतार कर गोलियों से भून देते है इस नरसंहार में नदिया के छः भाई और अनेक संबंधी मारे जाते है , इसके बाद शुरू होता है नदिया के ज़िन्दगी के दर्दनाक पन्ने जिसे पढ़कर आपकी रूह काँप जायेगी । नदिया तथा गांव की अन्य महिलाओं को बस के द्वारा ISIS के लोग अपने इलाको में ले जाते है , बस में ही महिलाओं का उत्पीड़न शुरू होता है और आगे चलकर वीभत्स रूप लेता है , लड़कियों को सबाया बना दिया जाता है , और उनकी खरीद फरोख्त शुरू हो जाती है हर दिन उनको मारा पीटा जाता है और बलात्कार पे बलात्कार होते रहते है , ISIS लड़कियों को व्यापार का साधन बनाते है , किताब आपको सोचने पे मज़बूर करती है कि इतनी हैवानियत कोई कैसे कर सकता है , नदिया भी इसी हैवानियत का शिकार होती रहती है और एक दिन मौका पाकर वहाँ से भाग निक...

Pustak Parichay : वोल्गा से गंगा pustak samiksha

  पुस्तक समीक्षा   पुस्तक का नाम - वोल्गा से गंगा लेखक - राहुल सांकृत्यायन ये जो पुस्तक है भारतीय इतिहास को मानव के विकास क्रम में समझाने के लिए सबसे नायाब पुस्तक है ऐसा मैं मानता हूं , आज तक जो भी पुस्तकें मैने पढ़ी है सबसे धीमी गति से पढ़ी गयी पुस्तक है , कई सारी कहानियां दो से तीन चार बार भी पढ़ी है एकदम टेस्ट बुक की तरह , क्योंकि इसे समझने के लिए भी एक आला दर्जें का दिमाग चाहिए जो शायद अपने पास कम है। राहुल सांकृत्यायन जी की ये अनुपम भेंट है हम जैसे इतिहास् में रुचि रखने बाले व्यक्ति के लिए , क्योकि कई कसौटियों पर कसने के बाद जो निकलता है उसे राहुल जी ने अपनी कल्पना के अनुरूप ढाला है बाकी आपकीं रुचि है कि आप उनको कैसे समझते है। वोल्गा से गंगा में कुल 20 कहानियां है जो आपको 6000 ईसापूर्व से लेके 1942 तक लेके आती है । शुरुआती कहानियां निशा दिवा अमृताश्व और पुरुहूत , प्रागैतिहासिक काल की वो कल्पना जन्य कहानियां है जो मानव के जन्म के बाद उसके सामाजिक परिवारिक प्राकृतिक सम्बन्धो का वर्णन करती है । अगली चार कहानियां पुरुधान अंगिरा सुदास और प्रवाहण वेद और उपनिषद आधारित व...