पुस्तक समीक्षा पुस्तक का नाम - अलबेला लेखक - अरविंद सिंह नेगी 'अलबेला' अरविंद सिंह नेगी द्वारा लिखित इस किताब के कवर को देखकर एक बारगी आप सोच सकते है कि इस किताब में हिम युग के किसी मानव की कहानी से अधिक क्या होगा? सच भी है! इसमें यहीं है, लेकिन जब हम इस किताब को पढ़ते है, तो हमें ऐसा आनंद मिलता है कि जिसे शब्दों में बताना मुश्किल है। एक सुखद अहसास। जिस कारण इस किताब के बारे में लिखते हुए हम खुद को रोक नहीं पाते। अलबेला: ये कहानी अलबेला नामक उस लड़के की है जो एक कबीले पर आए घोर संकट के समय पैदा होता है। चूंकि वो एक पगपालया है ( ऐसा शिशु जो सिर के बजाए पैरों से धरती पर आया है ) इसलिए उसे अलबेला नाम मिलता है। अलबेला जन्म से ही बड़ा जिज्ञासु है, और तरह-तरह के प्रश्न उसके मस्तिष्क में उमड़ते-घुमड़ते रहते है। जैसे-आसमान नीला क्यों है? बर्फ सफेद क्यों है? हम माँस क्यों खाते है? इत्यादि इन्हीं सवालों के उत्तर की खोज उससे कई खोजे करवा लेती है। जिन्हें पढ़ते हुए हम कल्पना करने लगते है कि हाँ ऐसा ही हुआ होगा। इस किताब में पात्रों के नाम अजीब नहीं लगते। हर नाम को कारण देने वाला कारण मौ...
पुस्तक समीक्षा 2018 नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नदिया मुराद की कहानी नदिया मुराद इराक के छोटे से गांव कोचो में अपने परिवार के साथ रहती है , ISIS जो कि इराक में अपने पैर पसार चुका था एक दिन कोचो पर हमला कर देता है और गांव की सारी औरतो तथा लड़कियों को बंधक बना लेता है और पुरुषों को एक गड्ढे में उतार कर गोलियों से भून देते है इस नरसंहार में नदिया के छः भाई और अनेक संबंधी मारे जाते है , इसके बाद शुरू होता है नदिया के ज़िन्दगी के दर्दनाक पन्ने जिसे पढ़कर आपकी रूह काँप जायेगी । नदिया तथा गांव की अन्य महिलाओं को बस के द्वारा ISIS के लोग अपने इलाको में ले जाते है , बस में ही महिलाओं का उत्पीड़न शुरू होता है और आगे चलकर वीभत्स रूप लेता है , लड़कियों को सबाया बना दिया जाता है , और उनकी खरीद फरोख्त शुरू हो जाती है हर दिन उनको मारा पीटा जाता है और बलात्कार पे बलात्कार होते रहते है , ISIS लड़कियों को व्यापार का साधन बनाते है , किताब आपको सोचने पे मज़बूर करती है कि इतनी हैवानियत कोई कैसे कर सकता है , नदिया भी इसी हैवानियत का शिकार होती रहती है और एक दिन मौका पाकर वहाँ से भाग निक...